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कुपोषित बच्चों में टीबी का जोखिम अधिक:डॉ बी पी सिंह

       रिर्पोट-शैलेन्द्र शर्मा


 • कुपोषित बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने से आसानी से आ सकते हैं टीबी की चपेट में 



आजमगढ़,  छतउर गांव के राकेश (परिवर्तित नाम) की दस वर्षीया बेटी रिद्धी को कुछ भी खाने के बाद उल्टियां हो जाती थीं | उसे पेट में बराबर दर्द बना रहता था। राकेश को पहले तो लगा कि मौसम बदलने से ऐसा हो रहा है | वह निकट के मेडिकल स्टोर से  दवा ले आये, पर परेशानी बढ़ती ही गयी |  तीन मार्च को बच्ची को लेकर वह पीएचसी पहुंचे। डॉक्टर ने  बलगम जांच के साथ एक्स-रे कराया | जांच में पता चला कि फेफड़े की टीबी है | उस समय रिद्धी का वजन 16 किलो था| डाक्टर ने बताया कि रिद्धी कुपोषण की भी शिकार है | इस वजह से उसे टीबी ने आसानी से जकड़ लिया | अब नियमित दवा सेवन के साथ ही उसके पोषक आहार पर भी विशेष ध्यान देना होगा | राकेश ने चिकित्सक की सलाह मानी और उनकी ओर से उपलब्ध करायी गयी दवाओं से बेटी का इलाज शुरू कर दिया | नियमित दवा एवं पोषक आहार के सेवन से रिद्धी के सेहत में चार महीने में ही काफी सुधार है | उसका वजन भी बढ़ गया और अब वह 19 किलो की हो चुकी है|

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ बी पी सिंह का कहना है कि सिर्फ रिद्धी ही नहीं अनिकेश, अर्पिता, नंदनी, दिव्याशी, रोहन, सारवी, सोनी (सभी परिवर्तित नाम ) जैसे और भी कई बच्चे हैं जिनका टीबी केन्द्रों से इलाज चल रहा है  | वह बताते हैं कि जिले में वर्ष 2022 में शून्य से 14 साल के 461 बच्चे और जनवरी 2023 से अब तक 339 बच्चे टीबी के इलाज पर रखे रखें गए हैं | इनमें अधिकतर  ऐसे बच्चे शामिल हैं जो पहले  कुपोषण और बाद में  टीबी से ग्रसित हुए  | वह कहते हैं कि बच्चों में वयस्कों की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता वैसे भी काफी कम होती है | यदि बच्चा कुपोषण का शिकार है तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी कम हो जाती है |  ऐसे में उसे टीबी से संक्रमित होने का जोखिम अधिक रहता है | वह बताते हैं कि कुपोषण और क्षय रोग में गहरा नाता है | इसलिए बच्चों के पौष्ठिक आहार पर खास ध्यान देना चाहिए | 

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोल्हूखोर जहानागंज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ धनंजय पांडे ने बताया कि पौष्ठिक आहार ही बच्चे को स्वस्थ  रखने और बीमारी से बचाने का काम करता है |  बढ़ते उम्र के अनुसार पोषक आहार न मिलने के कारण बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है | इसलिए बच्चों को सुपोषित बनाये रखने के लिए सभी को विशेष तौर पर सतर्क रहना चाहिए | बच्चों को ऐसे आहार देने चाहिए जो उसे सुपोषित बनाने में मददगार हों |

 बच्चों में टीबी के लक्षण- डॉ धनंजय पांडे ने बताया कि दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी,अचानक बुखार आना जो आमतौर पर शाम को होता है| वजन और लम्बाई मानक से कम होना | भूख नही लगना | चिडचिडापन | गले और बगल  में गिल्टी का होना | आवाज में बदलाव | बच्चों में इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए| यह बच्चे में टीबी के लक्षण हो सकते हैं |

 सावधानी- बच्चों के पोषक आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए | उनके भोजन में हरी साग-सब्जी के साथ मौसमी फल एवं दूध,अंडा को अवश्य शामिल किया जाए,क्योंकि इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण बच्चों में टीबी के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है| घर या पास-पड़ोस में टीबी मरीज से बच्चों को दूर रखना चाहिए|टीबी से बचाव के लिए बच्चे को जन्म के बाद जितना जल्दी संभव हो सके बीसीजी का टीका अवश्य लगवाएं |

 मिलती है पोषक आहार के लिए सहायता - जिला समन्वयक  पीयूष अग्रवाल ने बताया कि जिले में जनवरी 2023 से अब तक 339 बच्चों को  टीबी का इलाज सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाएं दी जा रही हैl| इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए प्रतिमाह 500 रुपये की धनराशि बच्चे के बैंक खाते में भेजी जाती है | यदि बच्चे का बैंक खाता नहीं है तो उसके माता या पिता के बैंक खाते में भेजी जाती है|

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