जिला कारागार, अम्बेडकरनगर में नशा उन्मूलन विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का हुआ आयोजन
अम्बेडकर नगर: उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन 2023-24 के अनुपालन में राम सुलीन सिंह, जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार दिनांक 17.10,2023 को जिला कारागार, अम्बेडकरनगर में नशा उन्मूलन विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में कमलेश कुमार मौर्य, अपर जिला जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर, गिरिजा शंकर यादव, जेलर जिला कारागार, अम्बेडकरनगर, छोटेलाल सरोज, उपकारापाल अवसार अहमद, उपकारापाल शरद कुमार पाण्डेय, असिस्टेंट, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल व कारागार के कर्मचारीगण एवं बन्दियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
शिविर को सम्बोधित करते हुये कमलेश कुमार मौर्य, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा बताया कि जिन लोगों का हृदय कमजोर होता है या जिनका निश्चय सुदृढ़ नहीं होता है जो संघर्ष के आगे घुटने टेक देते हैं और अपनी कमजोरी को छुपाने के लिये नशे का सहारा लेते हैं। नशा करने वाला व्यक्ति यह बहाना करता है कि नशा करने से कोई चिन्ता या दुख नहीं रहता। शुरू में तो व्यक्ति शोक के तौर पर नशा करता है लेकिन फिर वह नशे का आदी होने लगता है और अपनी बरबादी की ओर जाने लगता है। नशा केवल व्यक्ति को शारीरिक नुकसान ही नहीं। पहुँचाता बल्कि उसके अन्दर ऐसी गलत प्रवृत्तियां पनपने लगती है कि वह समाज में अपना सम्मान खोने लगता है तथा समाज से दूर होने लगता है। नशा एक अन्तर्राष्ट्रीय विकराल समस्या बन चुकी है इसके दुष्प्रभाव से युवा व बुजुर्ग ही क्या छोटे बच्चे भी नहीं बच पा रहे हैं। नशा मनुष्य को न सिर्फ पतन की ओर ले जा रहा है बल्कि आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त कर रहा है। इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नशा करने से कैंसर जैसे असाध्य रोग हो रहे हैं। मुख के कैंसर का मुख्य जड़ चूने में मिलाकर खाने वाली तम्बाकू है। उन्होंने बताया कि नशा तो कोई भी हो स्वास्थ्य के लिये सब प्राणघातक है विशेष कर सिगरेट और तम्बाकू कैंसर के जड़ हैं। अल्प समय में काल कलवित हो जाने से बच्चे बेसहारा हो जाते हैं उनकी समुचित पढ़ाई-लिखाई नहीं हो पाती है और वह ठोकर खाने पर मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि तम्बाकू से मरने वालों की संख्या लाखों में पहुँच गयी है। नशा करने से हर साल लगभग 10 लाख लोग असयम ही मौत के मुँह में समा जाते हैं। हमें अपने इच्छा शक्ति एवं डाक्टर के परामर्श से नशे को छोड़ना है।
शिविर के दौरान अपर जिला जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बेडकरनगर द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार देश के दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हो रहे ग्राम न्यायालयों के विषय में आम जन के मध्य जागरूकता प्रसारित किये जाने के क्रम में बताया कि देश के आम नागरिकों तक न्याय व्यवस्था की पंहुच को बढ़ाने और प्रत्येक नागरिक को देश के न्यायिक तंत्र से जोड़ने के लिये ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 के तहत ग्राम न्यायालयों की स्थापना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। इस व्यवस्था के अंतर्गत राज्यों को ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम न्यायालयों की स्थापना करने के निर्देश दिये गये हैं जिससे पंचायत स्तर पर दीवानी या फौजदारी के सामान्य मामलों (अधिकतम सजा 02 वर्ष) में सुनवाई कर नागरिकों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराया जा सके। इस न्याय व्यवस्था को लागू करने का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों को स्थानीय स्तर पर संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से न्याय उपलब्ध कराना था। ग्राम न्यायालय की स्थापना से ग्राम पंचायत स्तर पर न्यायालयों तक पंहुच से लोगों के लिये समय और धन की बचत होगी। लम्बित मामलों में एक बड़ी संख्या उन मामलों की भी है जिनका आपसी सुलह या मध्यस्थता से निस्तारण किया जा सकता है, ग्राम न्यायालयों के गठन से ऐसे मामलों में भारी कमी आयेगी न्याय प्रक्रिया में आसानी और इसके तीव्र निस्तारण से जनता में विधि व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ेगा।
Post a Comment