Ballai News: परिवार नियोजन : नौ माह में 2031 महिलाओं ने अपनाई नसबंदी, 14 पुरुषों ने भी निभाई जिम्मेदारी
- परिवार नियोजन के स्थाई साधन अपनाएं, खुशियों भरा जीवन बिताएं
- महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित व सरल है पुरुष नसबंदी – डॉ आनंद कुमार
बलिया, 06 जनवरी 2024।
केस 1 - हनुमानगंज ब्लॉक के ग्राम बहेरी निवासी 30 वर्षीय जलाउद्दीन (परिवर्तित नाम) ने बताया - “मेरा विवाह साल 2014 में हुआ था। मेरे चार बच्चे हैं। नसबंदी के नाम पर मुझे काफी डर लगता था। तरह-तरह की भ्रांतियां दिमाग में चलती रहती थीं, लेकिन जब मैं आशा दीदी बासमती से मिला तो उन्होंने मेरी सारी भ्रांतियां दूर कर दीं। मैंने अपनी नसबंदी जिला अस्पताल में 04 दिसम्बर 2023 को कराई। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुजीत कुमार यादव से पता चला कि यह बेहद आसान तरीका है। मामूली सी एक शल्य क्रिया है और उसी दिन ऑपरेशन करा कर मैं घर भी आ गया।” उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन का यह एक स्थाई, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय है। इससे यौन क्षमता और यौन क्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
केस – 2 ब्लॉक बेरूआरबाड़ी ग्राम माधोपुर निवासी 39 वर्षीय रमेश कुमार (परिवर्तित नाम) ने बताया - “मेरी शादी साल 2017 में हुई थी। शादी के एक साल बाद पहला बच्चा, साल 2021 में दूसरा बच्चा हुआ। पत्नी ने कहा कि अब हमारा परिवार पूरा हो गया है नसबंदी करा लेनी चाहिए। पत्नी से चर्चा करने के बाद मैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेरुआर बाड़ी के ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (बीसीपीएम) संतोष कुमार सिंह से मिला और नसबंदी के बारे में उनसे विस्तार में बात की। इसके बाद मैंने जिला अस्पताल में 23 दिसम्बर 2023 को नसबंदी कराई। जब मैंने नसबंदी करा ली, तब पता चला कि यह बहुत ही आसान है।”
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आनन्द कुमार ने बताया कि एक अप्रैल 2023 से 31 दिसम्बर 2023 तक जनपद में 2031 महिलाओं ने परिवार नियोजन के स्थाई साधन नसबंदी को अपनाया। इस अवधि में 14 पुरुषों ने भी जिम्मेदारी निभाई और नसबंदी कराई। इसके अलावा दो बच्चों के बीच में सुरक्षित तीन साल का अंतर रखने के लिए महिलाओं ने अस्थाई साधन को भी अपनाया है।4051 महिलाएं पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी), 3333 महिलाएं इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी)अपना चुकी हैं। 4333 महिलाओं ने तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा पर भरोसा जताया।
परिवार नियोजन मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सहायक – डॉ आनंद कुमार ने बताया कि पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखने से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है। साथ ही मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी भी लाई जा सकती है।
आसान है पुरुष नसबंदी – डॉ आनंद कुमार ने बताया कि पुरुष नसबंदी आसान प्रक्रिया है। इसमें सामान्य सा चीरा लगता है। इसमें व्यक्ति को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल भी होती है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई भ्रांतियाँ हैं। इस भ्रम से पुरुषों को बाहर आना होगा और एक छोटा परिवार एवं सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुषों को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है। इसके लिए आशा कार्यकर्ता लगातार समुदाय को जागरूक कर रही हैं।
मिलती है प्रोत्साहन राशि – डॉ आनंद कुमार ने बताया कि पुरुष लाभार्थी को सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने पर 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि एवं महिला लाभार्थी को 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप मे मिलते हैं। साथ ही पुरुष नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा को 400 रुपये प्रति लाभार्थी दिया जाता है। महिला नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा कार्यकर्ता को 300 रुपये प्रति लाभार्थी दिये जाते हैं।
फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक्स मैनेजर उपेंद्र चौहान ने बताया कि परिवार पूरा होने के बाद सामाजिक एवं आर्थिक मजबूती बढ़ाने के लिए अधिकतक 59 वर्ष तक के पुरुषों को आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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