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चंबल संग्रहालय को गिफ्ट में मिली जमीन, जल्दी ही अपनी इमारत में शिफ्ट होगी चंबल की विरासत

 

कुदरहा: चंबल संग्रहालय अब किराये की जगह अपनी निजी जमीन पर होगा और चंबल की विरासत को और भी अच्छी तरह से संजो सकेगा। चंबल संग्रहालय के लिए 30 अप्रैल 2024 का दिन ऐतिहासिक रहा जब चंबल अंचल से शैलेन्द्र सिंह परिहार बहादुरपुर ब्लॉक अंतर्गत पूरा पिरई गांव पहुंचे। उन्होंने चंबल संग्रहालय को अपना घर दान में देने के कागजात बहुत भावुक होते हुए प्रसिद्ध दस्तावेजी लेखक और चंबल संग्रहालय के संस्थापक डॉ. शाह आलम राना के पुश्तैनी गांव पूरा पिरई में उनकी माता के हाथों में सौंपा।


शैलैन्द्र सिंह परिहार चंबल अंचल में आने वाले इटावा जिले से अपने साथियों के साथ बस्ती के पूरा पिरई गांव पहुंचे थे। शैलैन्द्र सिंह परिहार के परिवार के सदस्य भारतीय सेना में रहे हैं। चौरैला, इटावा निवासी उनके पिता सूबेदार स्वर्गीय शिवनाथ सिंह परिहार ऐतिहासिक लाल सेना के कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के सहयोगी भी रहे हैं। 

जमीन दान में मिलने से इटावा स्थित चंबल संग्रहालय अपनी जमीन और इमारत में शिफ्ट हो सकेगा। वहां पर चंबल की विरासत को और बेहतर ढंग से सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसके साथ ही संग्रहालय पहुंचने वाले लोगों को भी बेहतर सुविधाएं और अनुभव दे पाना संभव हो सकेगा। चंबल संग्रहालय में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और चंबल अंचल से जुड़ी पुस्तकों, दस्तावेजों, पत्र-पत्रिकाओं, सिक्कों, पत्रों, तस्वीरों, लोक संस्कृति से जुड़ी दुर्लभ सामग्रियों का संरक्षण किया गया है।



चंबल संग्रहालय के लिए जमीन का पेपर सौंपने के बाद जनगायक सुनील पंडित ने उपस्थित समुदाय को पढ़कर सुनाया। आखिर में अपने संबोधन में दो दशक से अधिक समय विभिन्न जेलों में बिताने वाले पूर्व दस्यु सरदार सुरेश भाई सर्वोदयी ने इसे एक नजीर बताते हुए कहा कि जिस चंबल घाटी में एक-एक इंच के लिए पीढ़ियां एक दूसरे की जानी दुश्मन बनी रहीं वहीं चंबल संग्रहालय के दान में दी गई जगह मिसाल के साथ बहुत ही काबिले तारीफ है। शैलेंद्र सिंह परिहार का गांव चौरैला, बागी दस्यु सम्राट जगजीवन परिहार का भी गांव है। कार्यक्रम के बाद चंबल अंचल से आये हुए दल ने महुआ डाबर जाकर 1857 के महानायकों को नमन किया।

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