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बरसात के मौसम में दुधारू पशुओं का पोषण एवं प्रबंधन कैसे करे-डॉ दुर्गेश नन्दन



महमूद आलम

पशुपालक भाइयों जैसा कि देखा गया है कि जैसे ही बरसात का मौसम चालू होता है और हमारा पशु भरपेट हरा चारा खाते हैं तो उन्हे दस्त लग जाते हैं और इस कारण उनका दूध उत्पादन प्रभावित होता है। दस्त लगने का मुख्य कारण आहार में अचानक परिवर्तन है चूंकि गर्मियों के मौसम मे समान्यत: पशु को सूखा चारा मिलता है और अचानक भरपेट हरा चारा मिलने से उसके पेट में सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाली किण्वन कि क्रिया प्रभावित होती है और हमारे पशु को अपच होकर दस्त लग जाते हैं। 


इस विषय की जानकारी देते हुए डॉ. दुर्गेश नंदन पशु चिकित्सक साइंटिफिक ऑफिसर जटायू संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र कैम्पिंयरगंज गोरखपुर ने बताया कि इस समस्या से बचने के लिए हमें पशुओं को एकदम से हरा चारा भरपेट नहीं देना है उन्हे हरे के साथ सूखा चारा जरूर दें, और फिर धीरे-धीरे हरे को बड़ाते जाएं।


ध्यान रहे सूखे चारे में गीलापन या फफूंद न हो, अन्यथा पशुओं को अफ्लाटोक्सिकोसिस, बदहजमी, दस्त जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। हरा चारा साफ होना चाहिए, उसमे कीचड़ न लगा हो। पशुओं को साफ़ सुथरा पानी पिलायें। पानी की गुणवत्ता का पशुओं के स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। पानी में अधिक लवण व विषाक्त यौगिकों की मात्रा का पशुओं की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के पानी के उपभोग का शुष्क पदार्थ के सेवन पर प्रभाव पड़ता है। जिस दिन मौसम साफ़ हो तब टंकी का सारा पानी निकाल कर उसकी अंदर तथा बाहर से चूने से लिपाई कर दें और सूखने दे, तत्पश्चात उसमे साफ़ ताजा पानी भर दें।


पशु को बरसात में सुपाच्य संतुलित आहार दें जिसमे 60 प्रतिशत गीला/हरा चारा और 40 प्रतिशत सूखा चारा होना चाहिए। गाय को एक लीटर दूध उत्पादन हेतु 300 ग्राम तथा भैस को हर एक लीटर दूध उत्पादन हेतु 400 ग्राम दाने का मिश्रण देना चाहिए। साथ में रोज 30-40 ग्राम सादा नमक और 25-35 ग्राम खनिज मिश्रण खिलाना चाहिए। बरसात के मौसम में हरी घास का उत्पादन अधिक होता है परंतु इस घास मे पानी अधिक और कम पोषक तत्व ओर रेशे होते है जो पशु के पाचन के लिए उचित नहीं होता और इसलिए भी इस मौसम मे पशु को दस्त लग जाते हैं। इस मौसम में आहार के भंडारण पर भी ध्यान देना चाहिए अन्यथा दाना और चारा गीला होने से उसमे सडऩ लग सकती है जो हमारे पशु को बीमार कर देगी। पशु को हरा चारा आच्छी तरह झाड़ कर खिलाएं क्योंकि बरसात के समय घोंघों का प्रकोप अधिक होता है एवं यह चारे के निचलें तने एवं पत्तियों पर चिपके होते हैं।

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