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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी


 कुदरहा,बस्ती अज़मत अली:  मंगलवार भोर में विकास क्षेत्र कुदरहा के सरयू नदी के नौरहनी घाट पर क्षेत्र के कुदरहा, बगही, परमेश्वरपुर, छरदही, शंकरपुर, ईजरगढ़, चिलवनिया,बैसिया परेवा, मटियरिया, राजा टेंगरिहा, बैडारी, गायघाट, जिभियांव, मरवटिया, शिवपुर आदि गांव के श्रद्धालुओं ने भोर में ही सरजू नदी के नौरहनी घाट पर पहुंचकर नदी में डुबकी लगाई और दीपदान कर तुलसीपूजन किया।

मेले में प्रशासन व्यवस्था चुस्त दुरुस्त थी।

 ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु जल में वास करते हैं। पद्मपुराण में भी यह भी बताया गया है कि भगवान विष्णु मत्स्य रूप में पवित्र नदियों और जल स्रोत में वास करते हैं। ऐसे में नदी में स्नान करने से व्यक्ति को वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है और उसे मानसिक व शारीरिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है।


*कार्तिक पूर्णिमा का महत्व*


        कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है। इस दिन किये जाने वाले दान-पुण्य के कार्य विशेष फलदायी होते हैं। यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्मक योग का निर्माण होता है, जो कि बेहद दुर्लभ है। वहीं अगर इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति हो तो, यह महापूर्णिमा कहलाती है। इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता है.


*क्यों करते हैं गंगा स्नान*


राम जानकी मंदिर कुदरहा के महंत संत रामदास ने बताया कि यह दिन बेहद खास है क्योंकि माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध कर उसका संहार किया था। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान-दान करने से पूरे माह की पूजा-पाठ करने के समान फल मिलता है। इसे गंगा स्नान के नाम से भी जना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।



कार्तिक पूर्णिमा पर किनकी होती है पूजा

    कार्तिक का महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। कार्तिक पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य का अवतार धारण किया था। जिन्हें भगवान विष्णु का प्रथम अवतार भी माना जाता है। आमतौर पर इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान किया जाना चाहिए। इस दीप-दान को दस यज्ञों के समान माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है।

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