मौनी अमावस्या के अवसर पर हज़ारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
कुदरहा,बस्ती अज़मत अली: सनातन धर्म के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या के अवसर पर पवित्र सरयू नदी के नौरहनी घाट पर हज़ारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। शनिवार भोर में ही कुदरहा क्षेत्र के सैकड़ो गाँव से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का रेला घाट की तरफ निकल पड़ा। श्रद्धालुओं की भीड़ से कुदरहा नौरहनी मार्ग घंटों जाम रहा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कलवारी, लालगंज और नगर तीन थाने की पुलिस जगह जगह लगी रही लेकिन अन्य सुरक्षा के नाम पर न ही एम्बुलेन्स और न ही एनडीआरएफ की टीम मौजूद थी। श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान दान व पूजा अर्चना के बाद गौदान किया।
श्री योगीराज प्रयाग दास सिद्ध पीठ रामजानकी मंदिर के महंत संत रामदास ने बताया कि माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में होता है,तब तीरथपति यानि प्रयागराज में देव,ऋषि,किन्नर और अन्य देवतागण तीनों नदियों के संगम में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत धारण कर प्रभु का स्मरण करने से मोक्ष पद की प्राप्ति होती है, प्राणी की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। पुराणों के अनुसार इस दिन सभी पवित्र नदियों और पतितपाविनी माँ गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करने चाहिए। ऐसा करने से उसके पूर्वजन्म के पाप दूर होते हैं। मान्यता है कि इस दिन पीपल के वृक्ष तथा भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करना विशेष फलदाई है। इस तिथि को मौन एवं संयम की साधना,स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं हो तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें और मन में किसी तरह की कुटिलता का भाव नहीं आने दें।
मेले में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की तरफ से स्टॉल लगाया गया था जिसके माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा था कि वर्तमान पतित व्यवस्था का अंत कर नए मूल्यनिष्ट, पावन, दैवी समाज की स्थापना के लिए पतित पावन परम पिता परमात्मा शिव ने स्वयं इस धरा पर आकर प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना की है जिसके माध्यम से वह सारे विश्व की मनुष्य आत्माओं को अपना संदेश देते हुए जीवन को दिव्य सुख शांति संपन्न बनाने की प्रेरणा और शक्ति दे रहे हैं। मेले में तरह तरह के मिष्ठान सहित लगभग हर प्रकार के समान उपलब्ध थे।
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