मुर्गियों को सर्दी में कितने तापमान की होती है जरूरत, कैसे करें मेंटेंन
महराजगंज: डॉ. दुर्गेश नन्दन की मानें तो मुर्गियां बहुत ही सेंसेटिव होती हैं. अगर मुर्गियों किसी भी तरह के मौसम में खुद को असहज महसूस करती हैं तो अंडे का उत्पादन कम हो जाता है. जिससे कि किसानों की आय पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है अंडे का उत्पादन बना रहे इसके लिए सर्दी-गर्मी हर तरह के मौसम में मुर्गियों की जरूरत के हिसाब से तापमान को बनाए रखना जरूरी हो जाता है. अगर पोल्ट्री फार्म में तापमान मेंटेन नहीं किया गया तो कई बार मुर्गियों की मौत भी हो जाती है।
खासतौर से उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. कोहरा भी बहुत घना है. कई शहरों में तो दिन के 12 बजे तक भी कोहरा नहीं छट रहा है. तापमान लगातार नीचे जा रहा है. ऐसे में इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षी भी ठंड से बचने के हर उपाय कर रहे हैं. पोल्ट्री फार्म की मुर्गियों को गर्माहाट देने के लिए भी कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. अभी जो तापमान है उसमे और मुर्गियों को जितने तापमान की जरूरत है उसमे जमीन-आसमान का फर्क है.
यह जरूरी नहीं हैं कि मुर्गी साल के 365 दिन अंडा दे. अंडा देने वाली लेयर बर्ड (मुर्गी) एक साल में 280 से 290 अंडे देती है. 75 से 85 दिन अंडा न देने के पीछे वैसे तो बहुत सारी वजह हैं, लेकिन रोजमर्रा की कुछ ऐसी भी बातें हैं जिनसे मुर्गी असहज महसूस करती है. मुर्गी एक बहुत ही सेंसेटिव बर्ड है. अगर इसकी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ भी थोड़ा सा अलग होता है तो यह अंडा देना बंद कर देती है. ऐसा होने पर अब दो दिन बाद अंडा देगी या चार-छह और 10 दिन बाद यह भी मुर्गी पर ही निर्भर करता है
डॉ. दुर्गेश नन्दन की मानें तो अंडे देने वाली लेयर मुर्गियां हो या फिर ब्रॉयलर चिकन सभी को 25 से 26 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. अगर तापमान इससे कम या ज्यादा होता है तो मुर्गियां परेशान होने लगती हैं. मुर्गियों को मौसम की इस परेशानी से बचाने के लिए पोल्ट्री फार्म में तापमान बताने वाले उपकरण लगाए जाते हैं. जैसे अब सर्दी के मौसम में तापमान एवरेज चार से पांच डिग्री तक तो जा ही रहा है. तो मुर्गियां ठंड की चपेट में न आएं और उन्हें गर्मी मिलती रहे इसके लिए ब्रूडर या हीटर लगाए जाते हैं. ब्रूडर गैस और बिजली दोनों से ही काम करते हैं, जबकी हीटर बिजली से चलता है ब्रूडर का इस्तेमाल खासतौर पर अंडे देने वाली लेयर मुर्गी के फार्म में किया जाता है. लेकिन कुछ जगहों पर जहां संख्या कम होती है वहां लकड़ी का बुरादा और कोयले जलाकर भी ब्रॉयलर चिकन को गर्माहट दिया जा सकता है
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