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हम अपने कर्तव्य, धर्म, गोत्र को ना भूले : सर्वेश जी महराज _


रिपोर्ट _शैलेंद्र शर्मा




 हम अपने कर्तव्य, धर्म, गोत्र को ना भूले अपने मार्गों पर सजग रहे। कोई भी कितना योग्य क्यों न मिल जाए लेकिन माता-पिता का निर्णय ही सर्वोपरि होता है नहीं तो आप आज जो समाज में हो रहा है बेटियां टुकड़ों में मिल रही हैं। यह कैसा प्रेम है ? उक्त बातें प्रेम मूर्ति संत सर्वेश जी महराज ने बाबा श्री भंवरनाथ जी मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के तीसरे दिन कहीं।

उन्होंने कहा कि आज जो पूरे भारत में लव जिहाद चल रहा है। इसका कारण केवल हिंदू जनमानस है मैं आप सभी को आज कथा के माध्यम से सजग कर रहा हूं। आप अपनी बेटी बेटियों को कथा सत्संग से जोड़ना शुरु कर दें, वरना परिणाम आपको देख रहे हैं। आप अपने बच्चों को श्री हनुमान चालीसा, श्री दुर्गा चालीसा से जोड़ने का कार्य आज से ही आरंभ कर दें। कथा में शिव विवाह की चर्चा करते हुए बताया कि मां वात्सल्य की मूर्ति होती है। मां जैसा इस पूरे ब्रह्मांड में और कोई दूसरा नहीं है माने तो भगवान को भी जना है, मां प्रेम का सागर है। मां के बारे में जितना भी कुछ कहा जाए कम ही होगा। इसलिए कथा में आए सभी सनातनी उसे मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मां का अपमान ईश्वर के अपमान के बराबर है इसलिए मां का सम्मान करें यह किसी पूजा से कम नहीं।

सर्वेश जी महाराज ने कहा कि बाबा श्री भंवरनाथ जी विश्वास का दूसरा नाम है बाबा का नाम जब भी आपने तो बहुत ही आदर और सम्मान के साथ लें। बाबा का नाम लेने से पहले श्री का प्रयोग अवश्य करें,अगर आज आप स्वस्थ और सुखी हैं तो बाबा श्री भंवरनाथ जी की कृपा से ही है। आप अपने पिता का नाम लेते हैं तो श्री लगाते हैं कि यह तो आपके पिता के भी पिता हैं। 

बेटी हो या बेटा एक समान होते हैं दोनों के जन्म पर उत्साह एक समान होना चाहिए। बेटियां अपने भाग्य को लेकर आती है। बेटा एक कुल को तारता है तो बेटियां दो कुलों को तारती हैं। और अंत में सभी अपनी सनातनी बेटियों से निवेदन है कि वह अपने माता-पिता का सम्मान करें, उनकी आज्ञा का पालन करें, तभी आप सुरक्षित रह सकती हैं।

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