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गेरुआ टापू पर पल रही घड़ियालों की नई पीढ़ी, आज से निगरानी करेगा शोधार्थियों का दल

 गेरुआ टापू पर पल रही घड़ियालों की नई पीढ़ी





घड़ियाल प्रजनन की दृष्टि से अनुकूल माने जा रहे गेरुआ नदी के टापू पर गत वर्ष के मुकाबले अधिक संख्या में अंडे पल रहे हैं। इस बार कहीं अधिक संख्या में जून माह के पहले पखवारे कहीं अधिक संख्या में बच्चों के धरती पर आंखें खोलने की उम्मीद है। कतर्निया जंगल में बहने वाली गेरुआ नदी को घड़ियाल के लिए अनुकूल माना जाता है। गेरुआ नदी के टापू पर मादा घड़ियालों को प्रजनन के लिए सुरक्षित वातावरण देने के लिए इस बार समय से घास की सफाई करा कर छह पैड बनाए गए हैं। इसमें से चार पैड पर 26 घोसले देखे गए हैं, जबकि कौड़ियाला नदी की ओर भरथापुर के पास भी एक घोसला पाया गया है। दो पैड खाली रह गए हैं। गत वर्ष 21 घोसले ही यहां घड़ियालों ने रखे थे।


प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप वधावन ने बताया कि घड़ियाल के घाेसले बनाने की प्रक्रिया मई के द्वितीय सप्ताह तक चली। एक घोसले में दस से 20 अंडे हैं। अगले सप्ताह से नन्हें बच्चों के आंखें खोलने की उम्मीद है, तब इन्हें नदी में सुरक्षित छोड़ा जाएगा। इनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग ने टीमें अनवरत निगरानी कर रही हैं। टापुओं की ओर सैलानियों के जाने पर प्रतिबंध है।


आज से निगरानी करेगा शोधार्थियों का दल


वन्य जीव संस्थान देहरादून की चार सदस्यीय टीम गुरुवार को यहां पहुंचेगी। यह टीम शोध विशेषज्ञ शांतनु की अगुआई में प्रतिदिन घाेसलों की देखभाल करेगी। इसके अलावा वनकर्मियों की टीम भी सुरक्षा में मुस्तैद रहेगी। इसके साथ ही सात साल से घड़ियाल सरंक्षण परियोजना से जुड़े दिल्ली विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर गौरव वशिष्ठ भी टीम से जुड़ेंगे।

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