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कलयुग का कल्पवृक्ष है रामकथा : आचार्य शान्तनु जी महाराज

कुदरहा,बस्ती अजमत अली रामकथा हमे जीवन जीने की कला सिखाती है तो भागवत कथा हमे मोक्ष प्रदान करती है। श्रीराम कथा की सार्थकता तभी सिद्व होती है जब इसे हम अपने ब्यवहारिक जीवन में उतारते हैं। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन मात्र बनकर रह जाती है। यह सद्विचार नगर पंचायत गायघाट स्थित झारखण्डेश्वर नाथ धाम शिव मन्दिर परिसर में चल रहे ग्यारह दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन प्रयागराज से पधारे प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य शान्तनु जी महाराज ने प्रवचन सत्र में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राम नाम में अति आनन्द मिलता है। राम कथा के महात्मय का वर्णन करते हुए कहा कि रामचरितमानस में तुलसीदास जी महाराज ने पहले गुरु की वन्दना के साथ समस्त जीवों कि वंदना की है। राम नाम से ही मनुष्य जन्म को भव सागर से पार लग सकता है। श्रीराम की कथा श्रवण से मन का शुद्विकरण तो होता ही है इससे संशय भी दूर हो जाता है और मन को शान्ती मिलती है। ईश्वर से सम्बंध जोड़कर हम हमेंशा के लिए उन्हें अपना सकते है। श्रीराम कथा कल्प बृक्ष के समान है। जिस दिन वृद्धों की बात बच्चों को सुन्दर लगने लगेगा धरती पर स्वर्ग का अवतरण हो जायेगा। सुधा, साधु, सुरतरू, सुमन, सुफल, सुहावनि बात। तुलसी सीतापति भगति सगुन सुमंगल सात।। इस दौरान कथावाचक द्वारा गाये गए भजनों पर श्रोता मंत्र मुग्ध होकर झूमते रहे। कथा में मुख्य रूप से संयोजक स्कन्द पाल, यज्ञाचार्य पं रमाकान्त मिश्र, ओम प्रकाश त्रिपाठी, बालकृष्ण त्रिपाठी पिन्टू, हरिहर प्रसाद शुक्ल, सुरेश गिरी, श्रीकृष्ण त्रिपाठी, शंभू कुमार मिश्रा, प्रेम नारायण आजाद, मोहन पाल, राजेन्द्र लाला प्रधान, सुरेश सोनकर, ओम नारायण शुक्ल, धीरेन्द्र सिंह सहित बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु और क्षेत्रीय गणमान्य मौजूद रहे।
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