धर्म-कर्म
नन्द घर अनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की
बस्ती। जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है। ‘‘ सन मुख होय जीव मोहि जबही। जन्मकोटि अघ नाशहुं तबही।। मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है। भजन के लिये अनुकूल समय की प्रतीक्षा न करो, कोई भी क्षण भजन के लिये अनुकूल है। प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी। यह सद् विचार संत करपात्री जी महाराज जियर स्वामी ने गौर विकास खण्ड के ढोढरी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ से व्यक्त किया। कथा स्थल पर मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम और श्री कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द के साथ मनाया गया। कथा व्यास ने यजमान और उपस्थित श्रोताओें से कहा कि वे श्रीमद्भागवत की स्मृति में फलदार पौध लगाकर उनकी सेवा करेें। प्रकृति का संरक्षण भी उपासना के समान है।
श्रद्धालु भक्तजनों ने श्रीकृष्ण के दर्शन कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया। ‘‘नन्द घर अनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा, पालकी’’ के बीच गुब्बारे उडाकर मिठाई का वितरण हुआ। अवतार कथा का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सृष्टि में जब पापाचार, दुराचार बढ जाता है तो परमात्मा विविध रूप धारण कर नर लीला करते हुये पृथ्वी को पाप से मुक्त करते हुये सदाचरण सिखाते हैं। प्रत्येक अवतार के पीछे लोक मंगल की कामना छिपी है। ईश्वर भक्तों की सुख शांति के लिये स्वयं कितना कष्ट भोगते हैं यह भक्त ही जानते हैं। महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे भी तारते हैं। उन्हें सत्ता नहीं संत और सहजता प्रिय है। रावण का बध कर श्रीराम चन्द्र ने लंका का राज्य विभीषण को सौंप दिया और कन्हैया ने कंस का बध कर राज्य उग्रसेन को दे दिया।
महात्मा जी ने कहा कि जीवन कर्म भूमि है और उसका उचित अनुचित फल भोगना पड़ता है। जीवन को जितना सहज बनाकर प्रभु को अपर्ण करेंगे जीवन में उतनी ही शांति मिलेगी।
मुख्य यजमान शशिकान्त पाण्डेय, श्रीमती सुनीता पाण्डेय, रमाकान्त पाण्डेय, श्रीमती मीना पाण्डेय ने विधि विधान से व्यास पीठ का पूजन किया। पिता रामचन्द्र पाण्डेय, माता श्रीमती कृष्ण लली पाण्डेय की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में लाल मोहनदास, सूर्य नरायन तिवारी, कम्बल यादव, भगवान प्रसाद मिश्र, राम सूरत यादव, अनीस चौधरी, शेषराम यादव, छोटेलाल गुप्ता, भगवत प्रसाद, शिवाजी यादव, विक्रम चौधरी, सन्तोष कुमार तिवारी, लवकुश, अरविन्द शुक्ल, मयाराम, राजमनि वर्मा, साधू यादव, सुशीला, सुमन, संध्या पाण्डेय के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
प्रकृति के संरक्षण से प्रसन्न होते हैं परमात्मा-करपात्री जी महाराज श्रीमद्भागवत कथा
नन्द घर अनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की
बस्ती। जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है। ‘‘ सन मुख होय जीव मोहि जबही। जन्मकोटि अघ नाशहुं तबही।। मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है। भजन के लिये अनुकूल समय की प्रतीक्षा न करो, कोई भी क्षण भजन के लिये अनुकूल है। प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी। यह सद् विचार संत करपात्री जी महाराज जियर स्वामी ने गौर विकास खण्ड के ढोढरी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ से व्यक्त किया। कथा स्थल पर मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम और श्री कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द के साथ मनाया गया। कथा व्यास ने यजमान और उपस्थित श्रोताओें से कहा कि वे श्रीमद्भागवत की स्मृति में फलदार पौध लगाकर उनकी सेवा करेें। प्रकृति का संरक्षण भी उपासना के समान है।
श्रद्धालु भक्तजनों ने श्रीकृष्ण के दर्शन कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया। ‘‘नन्द घर अनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा, पालकी’’ के बीच गुब्बारे उडाकर मिठाई का वितरण हुआ। अवतार कथा का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सृष्टि में जब पापाचार, दुराचार बढ जाता है तो परमात्मा विविध रूप धारण कर नर लीला करते हुये पृथ्वी को पाप से मुक्त करते हुये सदाचरण सिखाते हैं। प्रत्येक अवतार के पीछे लोक मंगल की कामना छिपी है। ईश्वर भक्तों की सुख शांति के लिये स्वयं कितना कष्ट भोगते हैं यह भक्त ही जानते हैं। महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे भी तारते हैं। उन्हें सत्ता नहीं संत और सहजता प्रिय है। रावण का बध कर श्रीराम चन्द्र ने लंका का राज्य विभीषण को सौंप दिया और कन्हैया ने कंस का बध कर राज्य उग्रसेन को दे दिया।
महात्मा जी ने कहा कि जीवन कर्म भूमि है और उसका उचित अनुचित फल भोगना पड़ता है। जीवन को जितना सहज बनाकर प्रभु को अपर्ण करेंगे जीवन में उतनी ही शांति मिलेगी।
मुख्य यजमान शशिकान्त पाण्डेय, श्रीमती सुनीता पाण्डेय, रमाकान्त पाण्डेय, श्रीमती मीना पाण्डेय ने विधि विधान से व्यास पीठ का पूजन किया। पिता रामचन्द्र पाण्डेय, माता श्रीमती कृष्ण लली पाण्डेय की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में लाल मोहनदास, सूर्य नरायन तिवारी, कम्बल यादव, भगवान प्रसाद मिश्र, राम सूरत यादव, अनीस चौधरी, शेषराम यादव, छोटेलाल गुप्ता, भगवत प्रसाद, शिवाजी यादव, विक्रम चौधरी, सन्तोष कुमार तिवारी, लवकुश, अरविन्द शुक्ल, मयाराम, राजमनि वर्मा, साधू यादव, सुशीला, सुमन, संध्या पाण्डेय के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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