कृष्ण जन्म की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रोता
बस्ती। श्रीमद भागवत सुनने का लाभ भी कई जन्मों के पुण्य से प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को जीवन जीने और मरने की कला सिखाती है। मनुष्य को जीवन परमात्मा ने दिया है, लेकिन जीवन जीने की कला हमें सत्संग से प्राप्त होती है। सत्संग का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व है। उक्त विचार रुधौली विकासखंड के करमा कला गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कथावाचक पंडित देवस्य मिश्र ने कही।
श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्म की कथा का वर्णन किया। कथा के चौथे दिन दिन कथा वाचक पं. देवस्य मिश्र ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान पंडित देवस्य मिश्र ने अनेक भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति मोह माया के चक्कर में फंसकर अनीति पूर्ण तरीके से पैसा कमाने में जुटा है। जिसका परिणाम अंतत: उसे भोगना पड़ता है। मानव मानव की तरह नहीं जी रहा है। श्रीमद् भागवत जीवन जीने और मरने की कलां सिखाती है। उन्होंने बताया कि कलयुग में दुख के तीन कारण हैं, समय, कर्म और स्वभाव। उन्होंने कहा कि स्वभाव से जो दुखी है वो कभी सुखी नहीं हो सकता। जिस घर में अनीति से धन कमाया जाता है उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती। वहां हमेशा बैर बना रहता है। इस अवसर पर मुख्य यजमान कंचन सिंह, रुद्धेश्वरी सिंह, देवराज सिंह,रेनु सिंह,पूनम सिंह,रिद्धिमा सिंह,सख्या सिंह,हर्षित सिंह,सम्राट सिंह,भगवानदास शर्मा,ज्ञानसागर तिवारी, निखिल त्रिपाठी, वेद प्रकाश पाठक, दर्श, उज्जवल, निशा सिंह, प्रियंका सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में श्रोता मौजूद रहे।
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