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मुक़द्दस सफ़र पर ग्रामीणों ने हर्षोल्लास और अकीदत के साथ किया रुख़सत



बस्ती: कुदरहा क्षेत्र के जिभियांव गांव निवासी 60 वर्षीय जलालुद्दीन और उनकी अहलिया (पत्नी) किस्मतुन्निसा को उमरा हज की मुक़द्दस सफ़र पर रवाना होने से पहले ग्रामीणों ने हर्षोल्लास और अकीदत के साथ रुख़सत किया। इस मौके पर गांव का माहौल पूरी तरह रूहानी और दीनी रंग में रंगा नजर आया। लोगों ने फूल-मालाएं पहनाकर, मुबारकबाद पेश की और दुआओं के साथ दंपती को विदा किया।


हाजी जलालुद्दीन ने बताया कि वे दिल्ली से हवाई मार्ग के ज़रिये पहले पहुंचेंगे, जहां उमरा हज की अदायगी करेंगे। इसके बाद वे जाकर आख़िरी नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाज़िरी पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सफ़र उनके लिए बाइस-ए-सआदत है और अल्लाह तआला का ख़ास करम है कि उन्हें इस मुक़द्दस इबादत का मौका नसीब हुआ।


विदाई के दौरान गुलाम अहमद रज़ा और मौलाना मेराज अहमद ने नबी की नात-ए-पाक पढ़कर लोगों को सुनाया। नात की सदाओं से फ़िज़ा में इश्क़-ए-रसूल की खुशबू फैल गई और कई लोगों की आंखें अश्कबार हो गईं। मौजूद लोगों ने दंपती की सलामती, आसान सफ़र और इबादत की क़बूलियत के लिए ख़ुसूसी दुआ की।


इस मौके पर सफीउद्दीन, जैनुद्दीन, अली हुसैन, बाबुल हुदा, नईम दादा, सेराज अहमद, नजीर अहमद, सदरुद्दीन, मेराज अहमद सहित बड़ी तादाद में ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने कहा कि गांव के बुजुर्ग दंपती का उमरा हज पर जाना पूरे इलाके के लिए फख़्र और खुशी का सबब है।

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