स्वस्थ बच्चे ही समाज में अग्रणी भूमिका निभाते हैं - जिला कार्यक्रम अधिकारी
मऊ/ जिले में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है 30 सितम्बर तक चलने वाले इस माह के अंतर्गत 22 सितंबर दिन गुरुवार को स्वस्थ बालक-बालिका प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के सभी 2335 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इस कार्यक्रम का आयोजन सम्पन्न हुआ।
जिला कार्यक्रम अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा बच्चों को प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया गया। जिसके फलस्वरूप ज्यादा माताओं ने अपने जन्म से पांच वर्ष तक के बच्चों को लेकर केन्द्रों पर पहुंची। इसमें ग्राम प्रधान/पंचायत सदस्यों की भी अहम भूमिका है। इस गतिविधि का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना, पोषण की महत्ता पर जागरूकता बढ़ाना और एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाना है।
परदहां ब्लाक के बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) संजीव कुमार ने बताया कि बाल विकास परियोजना 212 आंगनबाड़ी केंद्रों तथा बढुवा गोदाम के तीन केंद्रों पर तथा डुमरांव के तीन केंद्रों पर इस कार्यक्रम का आयोजन करवाते हुए उपस्थित अभिभावकों को बच्चों को उनके पोषण हेतु प्रोत्साहित किया गया। स्वच्छता और पोषण के लिए आहार की विविधता को महत्व बताने के साथ खान-पान स्वच्छता का उचित सलाह दिया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य, बालक-बालिका के अभिभावकों को प्रोत्साहित करना, छह माह से पांच वर्ष तक के स्वस्थ बालक-बालिका की पहचान करना, जन्म से पांच वर्ष के बच्चों के वृद्धि निगरानी के लिए जन जागरूकता लाना है।
मुख्य से सेविका गीता तिवारी ने बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य अच्छे स्वास्थ्य पोषण विषय पर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को जागृत करना। स्तनपान एवं उपयुक्त आहार के संबंध में व्यवहारों को प्रोत्साहित करना। बच्चों में उम्र के अनुसार पोषण की आवश्यकता ऊपरी आहार एवं पोषण विविधता जैसे व्यवहार को प्रोत्साहित करना। इस प्रतियोगिता में पोषण पंचायत के माध्यम से तीन स्वस्थ बच्चों का चयन किया गया है। इन मानकों के तहत प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें कि मासिक वृद्धि निगरानी पर पांच अंक व्यक्तिगत स्वच्छता साफ-सफाई हाथ नाखून इत्यादि प्रदर्शन पर दस अंक, लंबाई ऊंचाई के सापेक्ष वजन जो लगातार सामान्य श्रेणी में हो अथवा मैम से सामान में गया। ऐसे बच्चे को 10 अंक, आहार की स्थिति पर 10 अंक दिये गये । जन्म से 6 माह के बच्चों की सभी नियमित जांचे की गयीं।
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