सृष्टि में जब-जब अन्याय, पापाचार बढता है परमात्मा विविध रूपों में लेते हैं अवतार -पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज
अजमत अली कुदरहा। सृष्टि में जब-जब अन्याय, पापाचार बढता है परमात्मा विविध रूपों में अवतार लेते हैं। सांसारिक विष जब भी जलाने का प्रयास करें तो रामनाम को जप करना चाहिये। यह सद् विचार राम जानकी मार्ग स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर झारखंडेश्वरनाथ धाम गायघाट में चल रहे नौ दिवसीय पंचकुंडीय श्रीसहस्त्र चंडी महायज्ञ व संगीतमयी श्रीराम कथा के तीसरे दिन शनिवार को कानपुर के विठुर से पधारे कथा वाचक मानस मर्मज्ञ पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने व्यक्त किया। कथा पाण्डाल में जब भगवान श्रीराम का जन्म हुआ तो हर तरफ उल्लास का वातावरण था।
प्रेम की व्याख्या करते हुये कहा कि आचार्य ने कहा ‘ हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम ते प्रगट होहिं जे जाना। जब पृथ्वी पर पापाचार, दुराचार बढ गया तो पृथ्वी ने भगवान शंकर से प्रार्थना किया तो भोलेनाथ ने कहा प्रभु हर कण में व्याप्त हैं, भगवान भक्तो के प्रेम के वशीभूत होते है। वेे प्रेम से ही प्रकट होेंगे और पृथ्वी के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होंगे। प्रेम से भगवद् प्राप्ति हो सकती है। मिलहि न रघुपति बिनु अनुरागा। किये कोटि जग जोग विरागा।।
कथा को विस्तार देेते हुये महात्मा जी ने कहा कि जप, तप, त्याग के स्थान पर कलिकाल में जो मनुष्य मेरा नाम प्रेम से या शत्रुतापूर्वक या किसी भाव से लेगा उसका कल्याण ईश्वर करेंगे। उन्होने राम जन्म के हेतु पर प्रकाश डाला-‘ राम जन्म के हेतु अनेका, पृथ्वी पर प्रभु श्रीराम के अवतार लेने के अनेकों कारण हैं, उन्होने मानव कल्याण के लिये समाज में आदर्श उपस्थित किया।
कथा में मुख्य रूप से आयोजक वरुण देव राम तिवारी , फूलचंद्र तिवारी, ब्रह्मदेवराम तिवारी, ओम प्रकाश तिवारी, विकास मिश्र, हरिनारायण गिरी, सरोज तिवारी, नीलम शुक्ल, नेमचंद्र कसौधन, सुरेश सोनकर, ज्ञानेंद्र मयंक तिवारी, विष्णुराम मिश्र, सुभम मिश्र, जुगुल किशोर, रमेश पाल, पुष्कर मिश्र, रामेन्द्र त्रिपाठी सहित सैकड़ो श्रद्धालुओं ने भगवान राम के जन्म की कथा का रसपान किया।
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