रमज़ान के दूसरे असरे में रोजेदारों को अपने व अपने पूर्वजों के गुनाहों से मग़फिरत की दुआ मांगना चाहिए- मौलाना अफरोज आलम
अजमत अली कुदरहा। रमजान के महीने में 3 अशरे होते हैं। पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है। रमजान के महीने को लेकर पैगंबर मोहम्मद स.अ. व. ने फरमाया की रमजान के शुरुआत में रहमत है, बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके अंत में जहन्नम की आग से बचाव है।
मदरसा अरबिया कादरिया रिज़बिया वज़हुल उलूम जिभियाँव के सहायक अध्यापक हज़रत मौलाना अफरोज़ आलम साहब ने बताया कि सोमवार से रमज़ान के दूसरे अशरे का आगाज हो चुका हैं।ग्यारह से बीस रमज़ान तक मोमिन रोजा रखकर अल्लाह से अपने गुनाहों (पापो)से छुटकारा हासिल करते हैं।दूसरे अशरे में रोजेदारो को अपने और अपने पूर्वजो के गुनाहों से मग़फिरत की दुआ मांगना चाहिए और रात के आखिरी हिस्से में जागकर अपने बख्शिश की दुआ करनी चाहिए।
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