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Ballia: राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ

नगर पंचायत अध्यक्ष व मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने किया राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ
-लाइलाज है फाइलेरिया, बचाव के लिए करें फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन
-28 फरवरी तक घर-घर खिलाई जायेगी दवा 
-दो लाख से अधिक लोगों को दवा खिलाने का है लक्ष्य
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सामूहिक दवा सेवन  (एमडीए) अभियान का शुभारंभ नगर पंचायत अध्यक्ष चितबड़ागांव अमरजीत सिंह एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.विजय पति द्विवेदी ने शनिवार को नगर पंचायत चितबड़ागांव मे किया। नगर पंचायत अध्यक्ष ने फाइलेरिया से बचाव की दवा खायी। इस मौके पर नगर पंचायत अध्यक्ष ने जनमानस से अपील की कि स्वास्थ्य विभाग की टीम जब दवा खिलाने आपके घर जाए तो टीम के सामने दवा जरूर खाएं और सोहांव ब्लॉक को फाइलेरिया मुक्त बनाने मे योगदान दें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. विजय पति द्विवेदी ने कहा कि मच्छर जब किसी फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है और जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परिजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। मच्छर काटने के बाद इस बीमारी के दुष्परिणाम 5 से 15 साल बाद देखने को मिलते हैं । इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है । प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक हो जाता है। यह एक लाइलाज बीमारी है | इस बीमारी से बचाव के लिए वर्ष में एक बार और पांच साल तक दवा खाना चाहिए।
वेक्टर बॉर्न के नोडल अधिकारी डॉ.अभिषेक मिश्रा ने कहा कि जनपद में 28 फ़रवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन एमडीए अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के अन्तर्गत घर-घर जाकर एक वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर शेष सभी को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने खिलाएंगे एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं के स्तन में सूजन की समस्या आती है। फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।
उन्होंने बताया कि अभियान के लिए सोहांव ब्लॉक में 180 टीमों का गठन किया गया है । पर्यवेक्षण के लिए 30 सुपरवाइजर को लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जो की दवा खाने के बाद परजीवी के नष्ट होने के कारण उत्पन्न होते हैं।
लाभार्थियों ने स्वास्थ्य टीम के सामने खाई दवा -
चितबड़ागांव निवासी राजा रावत(45) ने बताया कि मैंने आशा कार्यकर्ता के सामने फाइलेरिया से बचाव की दवा खाई है। इससे कोई दिक्कत नहीं हुई। फाइलेरिया रोग से बचने के लिए  सभी को यह दवा सेवन करना चाहिए। एक अन्य लाभार्थी राजेश कुमार रावत (46) ने बताया कि मैंने फाइलेरिया रोधी दवा टीम के सामने ही खाई। इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखने को मिला। मै सभी व्यक्तियों से निवेदन करता हूँ कि जब भी आपके सामने फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम पहुंचे तो उनके सामने दवा जरूर खाएं।
इस अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरही के अधीक्षक डॉ. पंकज कुमार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. आर बी यादव, सहायक मलेरिया अधिकारी सुजीत कुमार प्रभाकर ,वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक ताज मोहम्मद, मलेरिया निरीक्षक राज कुमार, डब्लूएचओ के एस एम ओ डॉ. शांता घटक, पाथ संस्था से आरएनटीडीओ डॉ०अबू कलीम, नितेश कुमार, पी सी आई संस्था से सोनू यादव,सी फार  संस्था के प्रतिनिधि साथ ही फाइलेरिया एवं मलेरिया विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
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