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प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी - श्रीमद्भागवतकथा


 

बस्ती । ब्रम्ह सम्बन्ध होने  पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं। यशोदा के गोद में खेलते हुये बाल कृष्ण का गोपियां दही से अभिषेक करने लगी। आनन्द में पागल गोपियां कन्हैया का जय-जयकार कर रही है। जो सदैव आनन्द में रहे वही नन्द हैं। ईश्वर से मिलन होने पर जीव आनन्द से झूम उठता है। उत्सव तो हृदय में होना चाहिये। आजकल लोग शरीर की अपेक्षा मन से अधिक पाप करते हैं। शरीर को मथुरा बनाओ तो आनन्द आ जाय। यह सद् विचार महात्मा शिवकुमार शुक्ला ने बस्ती सदर विकास खण्ड के पिपराचीथर में आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद्भागवतकथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से व्यक्त किया। कथा स्थल पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव उल्लास के साथ मनाया गया।
कथा व्यास अमरनाथ पाण्डेय ने  भरत चरित्र, अजामिल, भक्त प्रहलाद, धर्म के निरूपण, वृत्रासुर के चरित्र राजा रहूगण को भरत का उपदेश सहित अनेक प्रसंगो का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि  जिसका शरीर सुन्दर है किन्तु हृदय विष से भरा हुआ है वही पूतना है। पूतना का विनाश होने पर ही कृष्ण मिलन हो पाता है। जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है। मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है। भजन के लिये अनुकूल समय की प्रतीक्षा न करो, कोई भी क्षण भजन के लिये अनुकूल है। प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी।
मुख्य यजमान सावित्री मिश्रा ने विधि विधान से कथा व्यास का पूजन किया।  ओम प्रकाश मिश्रा, माधुरी मिश्रा, प्रेम प्रकाश, जय प्रकाश, चन्द्र प्रकाश, सत्यम, शिवम, शुभम, परम, मंगलम, राम यज्ञ मिश्रा, अनिल कुमार मिश्र के साथ ही अनेक श्रोता उपस्थित रहे।  
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