राष्ट्र और धर्म की रक्षा करना ही मानव का पहला कर्तव्य- पंडित चंद्र द्विवेदी
नगर बाजार : देवापार में चल रहे साप्ताहिक श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा में प्रथम दिवस ज्ञान बैराग भक्ति की कथा पर प्रकाश डालते हुए पंडित चंद्र द्विवेदी ने बताया कि साधु वही है जो देश और धर्म की रक्षा करें तथा समय को स्वर्ण से भी अधिक मूल्यवान समझे। श्री द्विवेदी जी कथा का विस्तार करते हुए कहते हैं कि नारद जी परम परोपकारी संत हैं । ज्ञान वैराग्य और भक्ति से ही राष्ट्र का कल्याण संभव है ।जब इस धरा धाम पर कलयुग के प्रभाव से लोग दुखी हो रहे थे देश में अधर्म, पापाचार कर बढ़ने लगा तब धर्म की स्थापना के लिए संत शिरोमणि नारद जी ने बदरिका आश्रम में सनकादिक,ऋषियों से मुलाकात कर भागवत ज्ञान यज्ञ की रचना किया। श्री सुखदेव मुनि द्वारा सुनाए गए राजा परीक्षित को कथा भागवत महापुराण जिसमें श्री हरि हमेशा विराजमान रहते हैं के माध्यम से ज्ञान वैराग्य और भक्ति को पुष्ट कर धर्म की स्थापना किया। माया को भक्ति की दासी बताते हुए श्री द्विवेदी जी ने बताया कि सभी युगों में राष्ट्रधर्म ,सनातन धर्म से प्राणियों का कल्याण हुआ है ।भारतवर्ष हमेशा सनातन धर्म से ही विश्व गुरु रहा है भारतवर्ष में ही भगवान जी के चौविसों अवतार हुआ है इसीलिए संपूर्ण दुनिया में एकमात्र देश भारत है यह ऐसे भारत माता कहा जाता है, अन्य देश में माता शब्द जुड़ ही नहीं सकता है। कथा में मुख्य यजमान अमरनाथ गौड़, बासमती, वीरेंद्र कुमार ,सरिता देवी कुमारी दिव्या गौड़ ,आदर्श , रोशनी चांदनी अंकित सुरभ जैसे अनेकों को लोग उपस्थि रहे।
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