सरयू नदी की कटान की डर से घर खाली कर रहे ग्रामीण
कुदरहा। सदर तहसील के कलवारी-रामपुर तट बंध के दक्षिण बसे मईपुर बड़कापुरवा और महुआपार कला के मदरहवा गांव में सरयू नदी की कटान की डर से ग्रामीणों ने घरों से समान खाली करना शुरू कर दिया। बाढ़ पीड़ित अपने रिश्तेदार और किराए का कमरा लेकर सामानों को सुरक्षित कर रहें हैं। बाढ़ पीड़ितों का आरोप हैं की बाढ़ खंड व जिला प्रशासन गांव को कटान से बचाने के लिए कोई प्रभावी कदम नही उठा रहा जिससे जनता में प्रशासन के खिलाफ रोष बढ़ रहा हैं।
रविवार और सोमवार की रात सरयू नदी का जलस्तर घटने के साथ कटान तेज हो गया। जिससे ग्रामीण भयभीत होकर नम आंखों से अपने घरों को खाली कर सामान अपने रिश्तेदार या किराए के कमरे में सामान सुरक्षित करने को मजबूर हैं। सोमवार को कटान घर के करीब आता देख आशा पत्नी प्रेमचंद भोले पुत्र अगनु और मनोज पासवान पुत्र भोले अपने घरों से सामान निकाल कर ट्रॉली से बैडारी किराए के मकान में रहने को मजबूर हो गए। राम भवन पासवान और मनीष पासवान का छप्पर का घर कटान से सरयू नदी में समा जाने से प्रशासन ने प्राथमिक विद्यालय में शरण दिया है। वही रुमाली पत्नी राम जी कटान की डर से मकान तोड़कर मलवा और सामान सिकंदरपुर अपने रिश्तेदार के यहां शरण लेने को मजबूर हैं। बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि कटान से सैकड़ो बीघा खड़ी फसल बर्बाद हो गई। गांव का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है लेकिन अभी तक बाढ़ खंड व जिला प्रशासन द्वारा कटान से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। जिससे बाढ़ पीड़ितों में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि महुआपार में हुई अंधाधुंध बालू खदान व बाढ़ खंड द्वारा अधूरे ड्रेजिंग के कारण सरयू नदी का धारा गांव की तरफ मुड़ गया जिसके कारण गांव का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
तत्कालीन जिलाधिकारी ने बाढ़ पीड़ितों को विस्थापित करने का दिया था निर्देश
पिछले वर्ष जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने बाढ़ पीड़ितों को चिन्हित कर तटबन्ध के उत्तर सरकारी जमीन पर आवासीय पट्टा देकर विस्थापित करने का निर्देश दिया था। बाढ़ पीड़ितों को विस्थापित करने के लिए चिन्हित जमीन पर कुछ लोगों का अनाधिकृत अवैध कब्जा है। अबैध कब्जे को खाली कराने के लिए तहसील प्रशासन ने 14 लोगों को नोटिस जारी किया था। बाढ़ खत्म होने के बाद बाढ़ पीड़ितों को तटबंध के उत्तर विस्थापित करने का मामला ठंढे बस्ते में चला गया।
बाढ़ खंड अधिशासी अभियंता दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि तटबंध के दक्षिण बसे गांव को कटान से बचाने का कोई स्थायी समाधान नही हैं। कटान से बचाव के लिए सामान मंगाए जा रहें हैं।
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