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पी.एफ.आई. भारत का मुस्लिम ब्रदरहुड



मुस्लिम ब्रदरहुड आर्थिक संरचना के साथ एक कट्टरपंथी/चरमपंथी आंदोलन है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। मुस्लिम ब्रदरहुड अपने कार्य को बहुत ही गोपनीय तरीके से करता है जो इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाता है। यह देखते हुये कि भाईचारा के निरंतर अस्तित्व के लिए इसकी वित्तीय और आर्थिक संरचना महत्वपूर्ण है यह संगठन के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। इस आंदोलन के विचारों और महत्वाकांक्षाओं को जीवित रखने और पूरी तरह से निस्पादित करने की क्षमता गंभीर रूप से बाधित होगी. यदि इसकी वित्तीय बुनियादी ढांचे तक पहुंच नहीं हो। मुस्लिम ब्रदरहुड अपने कार्य को जल्दबाजी में नहीं करते हैं बल्कि इसे ढांचागत और कानूनी तरीके से करते हैं जिसकी प्रकृति कानूनी है। इसके परिणामस्वरूप ये अपनी विचारधारा में आर्थिक घटक को सम्मिलित कर पाये हैं। मिश्र में आंदोलन के शुरुआत से ही इसके संस्थापक और नेता एक वैश्विक वित्तीय ढ़ांचा की स्थापना करने के लिए कार्य कर रहे थे। शुरुआत से ही वित्तीय ढ़ांचा बनाने का कार्य सदस्यता कर और जकात जैसा कि इस्लामिक कानून में वर्णित है. द्वारा किया जा रहा था। जैसे ही आंदोलन विकसित हुआ दावाह (Dawah) कि आधारभूत संरचना तैयार कर ली गई जो कि संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण श्रोत बन गया।  इसके साथ प्रत्येक स्थापित मस्जिद एवं प्रत्येक इस्लामिक

केंद्र जकात के इकट्ठा करने का केंद्र बन गया और प्रत्येक व्यापारी ने चैरिटेबल कोष में दान दिया। 

सन् 1950 में पुलिस एवं सुरक्षा बलों के दमन को ध्यान में रखते हुये मुस्लिम ब्रदरहुड ने अरब देशों में मुख्यतः गल्फ क्षेत्र में प्रवेश किया। मुस्लिम ब्रदरहुड ने अपना रास्ता यूरोप की और अग्रसर किया और वहां पर नियामक एजेंसी की स्थापना की, जो कि प्रारंभ में फैलने से पहले मुस्लिम समुदाय के लिए इबादत करने के लिए समन्वय स्थापित करता था जैसे कि म्युनिख मस्जिद इस समूह द्वारा 1990 में शुरुआत में सार्वजनिक क्षेत्र में मुख्यता यूरोपीय राष्ट्र बहुत सारे इस्लामिक समूह बनाए गए।

 जिसका राजनीतिक उद्देश्य उनके बताए हुए संस्कृति एवं सामाजिक उत्तरदायित्व से बिल्कुल ही पड़े था उनमें से कुछ ने अपने व्यापारिक लाभ की ओर कार्य शुरू कर दिया मुख्यतः जिसे हलाल व्यापार के नाम से जाना जाता है जिसके परिणाम स्वरूप संबंधित स्थानीय समूह की आमदनी आसमान छूने लगी।

 माना जाता है कि मुस्लिम ब्रदरहुड ने यूरोप में अपने इस्लामिक समुदाय में प्रभाव और मानवीय प्रयास के कारण टेरर फंडिंग में लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है सर्वप्रथम वह अपने आप को मानवीय कार्य के लिए समर्पित करते हैं।


जिससे उन्हें सहानुभूति प्राप्त होती है और अपने सामाजिक कार्य को दिखाकर धन

इकट्ठा करते हैं जिसका इस्तेमाल यूरोप में आतंक फैलाने में किया जाता है।

अष्ट्रीया ने पहले से ही मुस्लिम ब्रदरहुड को अपने देश से निष्कासित कर दिया है

और जर्मनी भी इसी राह पर है। फांस भी ब्रदरहुड और इससे संबंधित संगठन पर

कट्टरवाद और उग्रवाद फैलाने का आरोप लगा रहा है। 

फ्रेंच राजनीतिज्ञ नाथाली गौले ने इस्लामिक रिलिफ ऑर्गनाइजेशन पर यह आरोप लगाया है कि यह आतंकवाद के लिए वित व्यवस्था करता है फिलिस्तीन में हमास संगठन को मदद पहुंचाता है और इसके अधिकारी यहूदी विरोधी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर फैलाते

है। मुस्लिम ब्रदरहुड का विकास यूरोप में मुसलमानों कि स्थानीय संस्कृति से रिश्ते

को कमजोर कर दिया है और कुछ विगत वर्षों में संदेह बढ़ने के कारण निगरानी पर है। समस्या इतनी बढ़ गई है कि उनके वित्तीय संसाधन का इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है और यूरोपीय देश को पूरे विश्व में आतंकी गतिविधि फैलाने के लिए एक लॉच पैड की तरह प्रयोग किया जा रहा है। देश में पनप रहे चरमपंथी संगठन जैसे पी.एफ.आई. भी मुस्लिम ब्रदरहुड

तरह ही कार्यप्रणाली अपना रहे हैं।पी.एफ.आई. समाज सेवा की आड़ में खुद को छिपा रहे हैं, जबकि उनका उद्देश्य कुछ और है। पी.एफ.आई. के उनके हिंसक

गतिविधि में संलिप्तता के कारण इनका असली चेहरा उजागर हुआ। 


सउदी अरब एवं संबद्ध देशों और यूरोपीय देश ने अपने नागरिकों द्वारा धन के प्रवाह मुख्यतः ऑनलाईन माध्यम से किये गये लेन-देन पर रोक लगाने के लिए बहुत ही तेज प्रयास किया है और मुस्लिम ब्रदरहुड पर वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। 

विशेष रूप से सउदी अरब ने नगद जकात पर रोक लगा दिया है। जिसे मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी संगठन के लिए सबसे बड़ा वित्तीय श्रोत माना जाता है। पी.एफ.आई. को मुस्लिम ब्रदरहुड का भारतीय संस्करण कहा जा रहा है। मिश्र और फ्रांस जैसे अंतिम परिणाम से बचने के लिए भारत ने भी उसी प्रकार के समान कदम उठाये हैं जैसा कि मिश्र और फांस द्वारा उठाया गया।


(कशिश वारसीलेखक सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।)

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