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श्रद्धांजलि यज्ञ कर आर्य समाज ने मनायी अमर हुतात्मा वीर सावरकर की पुण्य तिथि




बस्ती: मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की* इन्हीं वाक्यों से देश के प्रति अपनी भावना प्रकट करने वाले अमर हुतात्मा वीर सावरकर जी ने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। आज आर्य समाज व आर्य वीर दल बस्ती ने उनकी स्मृति में वैदिक यज्ञ कर उनसे अनुप्राणित होने का संकल्प लिया। ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने वीर सावरकर जी के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।

इस अवसर पर यज्ञ कराते हुए आर्य वीर दल दिल्ली प्रदेश के योगाचार्य व मुख्य प्रशिक्षक दिनेश आर्य ने बताया कि सावरकर ने अपने मित्रों को बम बनाना और गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करने की कला सिखाई। 1909 में सावरकर के मित्र और अनुयायी मदनलाल ढींगरा ने एक सार्वजनिक बैठक में अंग्रेज अफसर कर्जन की हत्या कर दी। ढींगरा के इस काम से भारत और ब्रिटेन में क्रांतिकारी गतिविधिया बढ़ गयी। सावरकर ने ढींगरा को राजनीतिक और कानूनी सहयोग दिया, लेकिन बाद में अंग्रेज सरकार ने एक गुप्त और प्रतिबन्धित परीक्षण कर ढींगरा को मौत की सजा सुना दी, जिससे लन्दन में रहने वाले भारतीय छात्र भड़क गये। सावरकर ने ढींगरा को एक देशभक्त बताकर क्रान्तिकारी विद्रोह को ओर उग्र कर दिया था। सावरकर की गतिविधियों को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने हत्या की योजना में शामिल होने और पिस्तौले भारत भेजने के जुर्म में फँसा दिया, जिसके बाद सावरकर को गिरफ्तार कर लिया गया। इतिहास गवाह है कि एक व्यक्ति को दो महीने के भीतर दो आजीवन कारावास दिए गये। इस अवसर पर आर्य वीर दल के मण्डलपति देवव्रत आर्य ने कहा कि आज देश में हमारी संस्कृति पर जो अप्रत्यक्ष हमले हो रहे हैं उसके लिए सावरकर जी के समान दुःख सहन करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता का अनुसरण करते हुए राष्ट्ररक्षा करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों ने वैदिक मंत्रों से श्रद्धांजलि की आहुतियां देते हुए अमर हुतात्मा के जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नितीश कुमार, गणेश कुमार, आयुष श्रीवास्तव, यश कुमार, शिव श्याम, दिलीप कुमार राधा देवी सहित अनेक लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

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