त्रिसरण बुद्ध बिहार हरवंशपुर मैं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया बाबा साहब की जयंती
रिपोर्ट _पदमाकर पाठक
आजमगढ़। त्रिसरण बुद्ध बिहार हरवंशपुर आजमगढ़ की ओर से बाबा साहब डा भीमराव अम्बेडकर का जन्मदिन समारोह पूर्वक मनाया गया। सर्वप्रथम डा.भीमराव अम्बेडकर जी के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित कर उनके कृतित्व व व्यक्तित्व को याद किया गया। तथागत बुद्ध बन्दना उपरांत बच्चों ने स्वागत क्रांतिगीत व रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर समारोह की शोभा को बढ़ा दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व ब्लाक प्रमुख सुशील कुमार आनंद ने बताया कि भारतीय संविधान की सार्थकता और उपयोगिता पर चर्चा करते हुए डा अम्बेडकर ने कहा था कि किसी भी देश का संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो अगर उसे मानने और लागू करने वालों की नियति ठीक नहीं होगी तो वह अच्छा संविधान भी अंततः बुरा साबित होगा और यदि संविधान कितना भी बुरा क्यों न हो अगर उसे लागू करने वालों की नियति ठीक है तो बुरा संविधान भी अच्छा साबित होगा। आज उनकी हर कही बातें प्रासंगिक साबित हो रही है जिसका हमें बिन्दुवार आकलन करना होगा।अध्यक्षीय संबोधन में पंचम बाबू ने कहाकि संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का संपूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने कहाथा कि 26 जनवरी 1950 को हम विरोधाभाष के जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं, राजनैतिक रूप से तो हम एक व्यक्ति एक वोट और एक वोट एक मूल्य के सिद्धांत का अंगीकार करेंगे किंतु वर्ण और जाति से आच्छादित व्यवस्था के कारण हम संविधान में दी गई समानताओं के सिद्धांत को नकारेंगे। देश के प्रति जिम्मेदार लोगों का यह कर्तव्य होगा कि वह समय रहते सामाजिक विषमता को नष्ट कर दें अन्यथा समता और सम्मान के भूखे लोग इस गणतंत्रात्मक व्यवस्था को भिन्न-भिन्न कर देंगे।
आंगतुकों के प्रति आभार जताते हुए समिति के प्रबंधक/महामंत्री राजेन्द्र प्रसाद ने कहाकि भारत में वर्ण व्यवस्था जाति व्यवस्था के कारण एक बहुसंख्यक समाज को उनकी शिक्षा, रोजी, रोजगार से वंचित कर उन्हें अज्ञानी, गरीब व लाचार बना दिया। उससे समाज के साथ देश भी कमजोर हो गया। परिणाम यह रहा कि भारत, शक, हुण, यूनानी, पुर्तगाली, यहूदी, मुगल और अंग्रेजों का हजारों वर्ष देश गुलाम रहा। इन सबके लिए इस देश की जाति और वर्ण व्यवस्थाएं उत्तरदायी है। संचालन संजीव कुमार ने किया।
इस अवसर पर रविभूषण, संजीव कुमार, चन्द्रदीप, सहदेव प्रधान, विनोद, प्रेमनाथ, अशोक कुमार, सिंगारी, बहादुर राव, सुधीर कुमार, विश्वनाथ, सीता देवी, चांदनी आनंद, डा रामहित भारती, सुरजन, प्रांजल अवस्थी आदि लोग मौजूद रहे।
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