सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे डॉ. अम्बेडकर : प्रकाशानन्द
विद्या मन्दिर रामबाग में मनाई गई डॉ अम्बेडकर जयंती
बस्ती: सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबाग – बस्ती में आज संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई।
विद्यालय के उप प्रधानाचार्य श्री विजय प्रताप पाठक जी ने बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनको नमन करते हुए कहा कि भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर को उनकी जयंती पर शत-शत नमन, समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा।’
इसी क्रम में विद्यालय के आचार्य श्री प्रकाशानंद सिंह जी ने उनके जीवन के बारे में विस्तार से बताया कि संविधान निर्माता के तौर पर प्रसिद्ध बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल के दिन मनाई जाती है। बाबा साहेब की जयंती को पूरे देश में लोग मनाते हैं। डाॅ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। उनका पूरा जीवन संघर्षरत रहा है। उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। बाबा साहेब ने कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया।
डॉ. अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता थे। वे समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं आदि को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना चाहते थे। इसी कारण डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उन्होंने आगे बताया कि डाॅ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। हालांकि उनका परिवार मूल रूप से रत्नागिरी जिले से ताल्लुक रखता था। अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था, वहीं उनकी माता भीमाबाई थीं। डॉ. अंबेडकर महार जाति के थे। ऐसे में उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा।
बाबा साहेब बचपन से ही बुद्धिमान और पढ़ाई में अच्छे थे। हालांकि उस दौर में छुआछूत जैसी समस्याएं व्याप्त होने के कारण उनकी शुरुआती शिक्षा में काफी परेशानी आई। लेकिन उन्होंने जात पात की जंजीरों को तोड़ अपनी पढ़ाई पूरी की। मुंबई के एल्फिंस्टन रोड पर स्थित सरकारी स्कूल में वह पहले अछूत छात्र थे। बाद में 1913 में अंबेडकर ने अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से आगे की शिक्षा ली। यह एक बड़ी उपलब्धि थी कि साल 1916 में बाबा साहेब को शोध के लिए सम्मानित किया गया था। लंदन में पढ़ाई के दौरान उनकी स्कॉलरशिप खत्म होने के बाद वह स्वदेश वापस आ गए और यहीं मुंबई के सिडनेम कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर नौकरी करने लगे। 1923 में उन्होंने एक शोध पूरा किया था, जिसके लिए उन्हें लंदन यूनिवर्सिटी ने डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि दी थी। बाद में साल 1927 में अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से भी पीएचडी पूरी की। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी आचार्य, भैया एवं कर्मचारी बंधु उपस्थित रहे।
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