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पूतना उद्धार एवं बकासुर वध का वृतांत सुन भाव विभोर हुए श्रोता



बस्ती। प्रहलाद कॉलोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान रविवार को व्यास पीठाधीश्वर पंडित देवस्य मिश्र जी महाराज ने श्रोताओं को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि निराकार की अपेक्षा साकार रूप की पूजा अधिक फलदायी होती है। गाय, गंगा और गायत्री सनातन संस्कृति की मूल आधारशिलाएं हैं, जिनका अनुसरण जीवन को पूर्णता प्रदान करता है।

कथा में पूतना उद्धार और बकासुर वध का विस्तृत वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार बाल स्वरूप में भगवान श्रीकृष्ण ने दुष्ट शक्तियों का विनाश कर भक्तों की रक्षा की। पूतना, जो बालक कृष्ण को मारने के उद्देश्य से आयी थी, उसी के द्वारा उद्धार प्राप्त कर परमगति को प्राप्त हुई। वहीं, बकासुर वध की कथा से यह संदेश मिला कि अधर्म चाहे कितना भी बलशाली क्यों न हो, सच्चाई और धर्म के समक्ष टिक नहीं सकता।

पंडित देवस्य मिश्र ने नग्न स्नान को अशुभ बताते हुए बताया कि श्रीकृष्ण ने यमुना किनारे गोपियों के वस्त्र चुराकर उन्हें जीवन का सच्चा संदेश दिया, जो आत्मज्ञान और लज्जा की मर्यादा से जुड़ा हुआ है। साथ ही कालिया मर्दन की कथा सुनाकर सांस्कृतिक कुरीतियों के विनाश के लिए भगवान द्वारा दिए गए संदेश को उजागर किया।

उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण कंस, पूतना और बकासुर जैसे असुरों का वध किसी भी देवता के माध्यम से करा सकते थे, लेकिन ब्रज की गोपियों के साथ महारास रचाने के लिए भगवान शिव को भी गोपी का रूप धारण करना पड़ा। यह इस बात का प्रतीक है कि भगवान के प्रेम में लीन होने के लिए ईश्वर स्वयं को भी भक्त रूप में ढालते हैं।


गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के अभिमान को तोड़ते हुए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर साकार पूजा की परंपरा की स्थापना की। इसके माध्यम से भक्तों को आत्मबल और भक्ति का महत्व समझाया गया।


कथा में कान्हा द्वारा ब्रज की बालाओं संग होली खेलने का मनोहारी दृश्य भी प्रस्तुत किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। पंडित देवस्य मिश्र ने कहा कि संत वेदों का ह्रदय होते हैं और महापुरुषों के मुख से कथा श्रवण करने से पापों का क्षय होता है और पुण्य का उदय होता है।


इस अवसर पर श्री श्याम नारायण पाल, लालमति पाल, सौरभ पाल, राजकुमार पाल, धर्मेंद्र पाल, रामकुमार पाल, विनोद पाल, चूड़ामणि त्रिपाठी, रिपु सूदन यादव, रामकिशोर, रामकुमार, शिवम, श्याम सुंदर, भार्गव, अमित तिवारी, राम सहज मौर्य, राम ललित चौधरी, अजय, सुरेंद्र, आकाश, विकास, अंकुल, सुची त्रिपाठी, सुधा, सुनीता, पिंकी, नेहा, निधि, अर्पित त्रिपाठी, नितेश, परी शर्मा, सावित्री यादव सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।

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