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भक्त ध्रुव व प्रहलाद की कथा सुन श्रोता भावविभोर



बस्ती। जनपद के भदेश्वरनाथ शिव मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञान महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार को कथा व्यास पं0 देवस्य मिश्र ने भीष्म पितामह की कथा, कलयुग के आगमन की कथा तथा भक्त प्रहलाद की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि अहंकार के वशीभूत होकर राजा हिरण्यकश्यप अपने को भगवान मानने लगा था। जब उसके अपने ही बालक भक्त प्रह्लाद ने नारायण की आराधना नही छोड़ी तो उसने बेटे को कई यातनाएं दीं। तमाम यातनाओं के बाद भी भक्त प्रहलाद ने प्रभु की भक्ति नहीं छोड़ी। ध्रुव प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा वाचक ने कहा कि पांच साल की अल्पायु में तपस्या के लिए बालक ध्रुव ने घर छोड़ दिया। नारद मुनि ने काफी प्रयास किया कि वह घर लौट जाएं। ध्रुव थे कि उन्हें नारायण के भक्ति की धुन सवार थी। कथा का सार समझाते हुए व्यास ने कहा कि सच्चे मन और दृढ़ संकल्प से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। ध्रुव और प्रहलाद जैसे भक्तों को भी घोर कष्टों का सामना करना पड़ा था। लेकिन कठिन दौर में भी उन्होंने भगवान के नाम का जप नही छोड़ा। जीवन की वास्तविकता को समझकर मनुष्य को अच्छे कर्म और भगवान का भजन करते रहना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत और जीवन सुखमय में व्यतीत होगा। इस अवसर पर हर्षित शुक्ला, अनुराग मिश्रा, मुख्य यजमान हरि श्याम कसौधन तथा मुन्नी देवी, सियाराम गुप्ता, पिंटू कसौधन, मिंटू कसौधन,सिंटू,राजाराम,कन्हैया,रुद्र,कृष्ण कुमार कसौधन,आदित्य, राजू,बबलू,डब्लू,दीपक,बिरजू, चंद्र किशोर,आदर्श, सुशील गिरी तथा भदेश्वर नाथ मंदिर के अध्यक्ष राजेश गिरी सहित सैकड़ो लोग मौजूद रहे।

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